सुंदर समाज के निर्माण के लिए बेटियों को शिक्षित और सक्षम बनाना आवश्यक

- 'अभिलाषा ज्योति फ़ाउंडेशन के १०वें स्थापना दिवस समारोह में विकास आयुक्त ने कहा
पटना, ११ अप्रैल। सुंदर समाज के निर्माण के लिए बेटियों को शिक्षित और सक्षम बनाना बहुत आवश्यक है। बेटियाँ जो आगे चलकर बहुएँ और माताएँ बनेंगी, देश के नव-निर्माण में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। इससे न केवल महिलाएँ बल्कि भारतीय समाज सशक्त होगा।
यह विचार बिहार के विकास आयुक्त और भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी अमृत प्रत्यय ने, बी आइ ए सभागार में, कल्याणकारी सामाजिक संस्था 'अभिलाषा ज्योति फ़ाउंडेशन' के १०वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यह संस्था इस मायने में अनोखी है कि यह, संस्था के संस्थापक और अवकाश प्राप्त प्रशासनिक अधिकारी आनन्द बिहारी प्रसाद के पेंशन की राशि और कुछ सदस्यों के सहयोग से संचालित होती है। किसी भी सरकार अथवा अन्य व्यक्तियों से आर्थिक सहयोग नहीं लेती। यह अनुकरणीय है।
समारोह के मुख्य अतिथि और बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि बेटियों में शिक्षा और संस्कार भरना सर्वाधिक आवश्यक है। यही गुण उन्हें सक्षम बनाएँगे और लोक-कल्याणकारी भी। नारी-सशक्तिकरण का अर्थ पुरुष विरोध नहीं, अपितु समाज और राष्ट्र के विकास में पुरुषों से बढ़कर योगदान देना है। स्त्रियों का हृदय पुरुषों की तुलना में बड़ा होता है। उनमे करुणा और प्रेम अधिक होता है, जो जीवन को मूल्यवान बनाता है।
बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी विजय प्रकाश ने मिथिला की महान विदुषी भारती मण्डन मिश्र और सीमांचल की एक अनपढ़ विधवा कलावती देवी के शिक्षा में अन्यतम योगदान का उदाहरण देते हुए कहा कि महिला-शिक्षा एवं उनके सशक्तिकरण में इनसे प्रेरणा लेणी चाहिए।
संस्था की अध्यक्ष ज्योति श्रीवास्तव की अध्यक्षता में, 'बालिका सशक्तिकरण' को समर्पित इस समारोह में सुप्रसिद्ध समाज-सेविका पद्मश्री सुधा वर्गीज़, डा मृदुला प्रकाश, अरुण अग्रवाल, मीरा श्रीवास्तव, आशा अग्रवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
पाँच सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम में उद्घाटन के पश्चात, 'नारी-गुंजन' , 'रेनबो होम्स', मूक-बधिर विद्यालय 'आशा दीप' तथा स्कूल औफ़ क्रिएटिव लर्निंग' की बच्चियों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। सुश्री आराध्या सहित सभी कलाकार-बालिकाओं की प्रस्तुतियों की खूब सराहना हुई।
तीसरे सत्र में 'बालिका-विमर्श' हुआ, जिसमें एक पक्ष में बालिकाएँ थीं और दूसरे पक्ष में महिलाएँ। दोनों ही पक्षों के विचार सामने आए। बालिकाओं ने 'लिंग-भेद' पर खुलकर अपने विचार रखे। 'विविधा' नाम से चौथा सत्र आयोजित हुआ, जिसमें आइ टी आई, दीघा की बालिकाओं ने एक लघु नाटिका की प्रस्तुति की। पटना विमेंस कालेज की छात्राओं ने भी गीत, नृत्य एवं योग की प्रस्तुति दी। बालिकाओं द्वारा बनायी गयी कला-कृतियों की भी प्रदर्शनी लगायी गयी थी, जिसकी भूरी भूरी प्रशंसा की गयी। अंतिम सत्र में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र और पदक देकर सम्मानित किया गया। सत्रों का संयोजन शिवांजलि और अनुष्का द्वारा किया गया। मंच का संचालन शिवानी गौड़ ने किया।
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