आतंकी हमला
बहुत दुखद है आतंकी हमला ,मानवतावाद शर्मसार किया है ।
अहिंसावादी बहुल्य क्षेत्र में ही ,
हिंसा का तू अंजाम दिया है ।।
गाॅंधीवाद का नहीं यह जमाना ,
थप्पड़ खा दूजा गाल दे दूॅंगा ।
एक का प्राण जो तूने लिया है ,
तो तीन का प्राण मैं ले लूॅंगा ।।
तेरा भी हश्र अब वही होना है ,
जो तुमने यह कर दिखाया है ।
होगा जब तेरा भी वही हश्र ,
फिर अहसास हमने ये पाया है ।।
वह समय भी अधिक दूर नहीं है ,
परिजन समक्ष तड़प रहे होगे ।
हॅंसता हुआ देख रहा होऊॅंगा मैं ,
जब यम प्राण हड़प रहे होंगे ।।
मरकर भी तुम जीवित रहोगे ,
शहादत तेरा ये कामयाब होगा ।
लेंगे हम भी चुन चुनकर बदला ,
हिसाब का तरीका नायाब होगा ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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