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गाँव के प्रति नही बदला..

गाँव के प्रति नही बदला..

वर्षो बाद आया हूँ
आज अपने गाँव।
सब कुछ बदल गया
पर बदला नही दिल।
इसलिए तो आ गया
आज पुन: अपने घर।
देख घर की हालत को
याद आ गये पुराने दिन।।


नदी किनारे बैठकर
सोच रहा था आज।
कैसे दिन थे वो
वर्षो पहले वाले।
मिलते जुलते रहते थे
हम अपनो से तब।
मनकी बातें करते थे
अपने मन मीत से।।


अब तो बिछड़े हो गये
कितने महीने और साल।
फिर भी याद वो आते है
मन जब होता उदास।
भाग दौड़ में जिंदगी
कैसे निकल रही।
पैसा तो पास बहुत है
पर दिलको नही सुकून।।


पढ़ लिखकर तो मिल गया
पैसा नाम और सोहरत।
पर इसके बदले खो दिया
अपनो का स्नेह और प्यार।
चैंन नही है दो पल का भी
बैठ सकू अपनों के पास।
जिसके लिए सब कुछ किया
मोड़ रहे मुँह वो ही आज।।


जय जिनेंद्र


संजय जैन "बीना" मुंबई


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