चेतना फाउंडेशन एक समर्पित और अग्रणी संगठन है जो विभिन्न प्रकार की पुनर्वास सेवाएं प्रदान करता है - डॉ संतोष कुमार

संवाददाता सुरेन्द्र कुमार रंजन की खबर |
" ओरल सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी सर्टिफिकेशन कोर्स आज के दौर में बच्चों ,किशोरों और वयस्कों की समग्र विकास यात्रा में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।" यह उद्गार बिहार कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी एंड ऑक्यूपेशनल थेरेपी के व्यवसायिक चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ प्रियदर्शी आलोक के चेतना फाउंडेशन पटना द्वारा "oral sensory integration Therapy Certification Course " विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में व्यक्त किए।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ प्रियदर्शी आलोक, चेतना फाउंडेशन के संस्थापक सह निदेशक डॉ संतोष कुमार, डॉ अदिति, डॉ अविनाश शंकर और डॉ अविनाश सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया
चेतना फाउंडेशन पटना के निदेशक डॉ संतोष ने बताया कि यह कार्यक्रम उन पेशेवरों के लिए आयोजित किया गया था जो स्पीच, फीडिंग और सेंसरी प्रोसेसिंग से संबंधित थेरेपी में विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहते हैं। चेतना फाउंडेशन एक समर्पित और अग्रणी संगठन है, जो विभिन्न प्रकार की पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करने के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। संस्था का मुख्य उद्देश्य विशेष आवश्यकता वाले बच्चों, किशोरों और वयस्कों को संपूर्ण व्यावसायिक और वैज्ञानिक आधार पर थेरेपी और समर्थन प्रदान करना है ताकि वे अपने जीवन में आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ सके। इस फाउंडेशन द्वारा प्रदान की जानेवाली सेवाओं में शामिल हैं- स्पीच एंड लैंग्वेज थेरेपी,ऑक्यूपेशनल थेरेपी, फिजियोथेरेपी, सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी ,स्पेशल एजुकेशन, बिहेवियर थेरेपी और काउंसलिंग एवं पैरेंट ट्रेनिंग प्रोग्राम्स ।
संस्था ने न सिर्फ उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं के लिए मानक स्थापित किये हैं बल्कि जागरूकता कार्यक्रमों, ट्रेनिंग कोर्सेस और कैपेसिटी बिल्डिंग वर्कशॉप्स के माध्यम से भी समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का का कार्य किया है।
मुख्य अतिथि डॉ प्रियदर्शी आलोक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नियमित प्रशिक्षण और उन्नयन हर क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण है और चेतना फाउंडेशन चिकित्सा सेवाओं के क्षेत्र में गुणवत्ता सेवाओं के लिए जाना जाता है।हम सभी यह देखकर गर्व महसूस कर रहे हैं कि वे अपनी टीम के सदस्यों के उन्नयन के लिए नियमित प्रशिक्षण का आयोजन कर रहे हैं। संस्थापक सह निदेशक डॉ संतोष कुमार इस क्षेत्र के एकमात्र व्यावसायिक चिकित्सक हैं जिन्होंने ऑटिज्म में पीएचडी की है। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता मायने रखती है और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए हमें नियमित प्रशिक्षण और उन्नयन की आवश्यकता है।
डॉ अदिति ने कहा कि हर व्यक्ति में आगे बढ़ने की क्षमता होती है, बस जरूरत है सही मार्गदर्शन और सहयोग की। अनुभवी चिकित्सकों, थेरेपिस्ट्सों और विशेष शिक्षकों की एक मजबूत टीम के साथ यह संस्था बिहार ही नहीं बल्कि पूरे भारत में पुनर्वास सेवाओं का एक भरोसेमंद नाम बन चुकी है।
डॉ अविनाश शंकर एवं डॉ० अविनाश सिंह ने कहा कि कोर्स के दौरान प्रतिभागियों को "ओरल सेंसरी इंटीग्रेशन" के वैज्ञानिक सिद्धांतों, हस्तक्षेप विधियों और केस स्टडी के माध्यम से गहन जानकारी दी गई। थेरेपिस्ट्स, स्पीच लैंग्वेज पैथेलॉजिस्ट्स और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स के लिए यह कोर्स अत्यंत लाभकारी है। संस्था का यह प्रयास रहा है कि बिहार और अन्य राज्यों में कार्यरत पेशेवरों को राष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जाय जिससे विशेष आवश्यकता वाले बच्चों और व्यक्तियों को बेहतर सेवा मिल सके।
इस कोर्स को डिजाइन और संचालित करने का श्रेय Speechgears Pvt Ltd के संस्थापक श्री भारत भूषण चन्द्रा और उनकी टीम को है जिन्होंने प्रतिभागियों को उच्च गुणवत्ता का प्रशिक्षण और व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया।यह कंपनी थेरेपी के लिए कई यंत्र बनाती है जो कई सारी विकृतियां जैसे Dysphagia, Autism Spectrum Disorder, Feeding Disorder, Dysarthria,Cancer, Learning Disorder, Paralysis में काम आती है।कई यंत्र ऑक्यूपेशनल थेरेपी में भी काम आते हैं।इस कंपनी का एकमात्र उद्देश्य यह है कि भारत के कोने - कोने में इस यंत्र को पहुंचाएं ताकि अधिक से अधिक लोग इससे लाभ उठा सकें।
कार्यक्रम की अगुवाई चेतना फाउंडेशन के निदेशकगण डॉ संतोष कुमार ,डॉअदिति, डॉअविनाश शंकर और डॉ अविनाश सिंह कर रहे थे जिनके सहयोग और मार्गदर्शन से यह कार्यक्रम सफल रहा। इस कार्यक्रम में OSIT प्रशिक्षण के लिए ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट डॉ कुमुद शर्मा,स्पीच थेरेपिस्ट डॉ नेहा यादव एवं डॉ ज्योति मेहता ने अपना योगदान दिया जबकि कार्यक्रम का संचालन वरीय प्रबंधक रौशन सिंह ने किया। चेतना फाउंडेशन की ओर से संस्था के निदेशक डॉ संतोष कुमार, डॉ अदिति, डॉ अविनाश शंकर और डॉ अविनाश सिंह का योगदान सराहनीय रहा।
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