सोलह श्रृंगार महिमा अपार
बिंदी शोभा आभा मंडल,शीतलता अप्रतिम ज्योत ।
कुमकुम सह पुनीत अर्णव,
गुरुत्व बल अभिवृद्धि श्रोत ।
मांग अंतर सिंदुर मनोरम,
प्रिय दीर्घ आयुष साकार ।
सोलह श्रृंगार महिमा अपार ।।
नयनन निखार काजल संग,
मंगल दोष तीव्र निवारण ।
मेहंदी कर कमल श्रृंगार,
नेह अभिव्यंजना उदाहरण ।
लाल हरी रंग बिरंगी चूड़ियां,
सदा अनंत खुशियां आधार।
सोलह श्रृंगार महिमा अपार ।।
मंगलसूत्र सुहाग अनुपमा ,
दाम्पत्य पर्याय परिभाषा ।
नथ पट नित सौंदर्य निर्झर,
गजरा केश सुरभि अभिलाषा ।
सात्विक शालीन मांग टीका,
झुमके झुम आनंद धार ।
सोलह श्रृंगार महिमा अपार ।।
बाजूबंद उद्गम धन वैभव ,
स्वामित्य आहूत कमरबंद ।
बिछिया साहस शौर्य सेतु ,
पायल स्वर जीवन मकरंद ।
अंगूठी अंतर प्रणय अनुबंध ,
स्नान सह नव यौवन बहार ।
सोलह श्रृंगार महिमा अपार ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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