महर्षि परशुराम का शस्त्र और शास्त्र लोक कल्याण के लिए था:- डॉक्टर विवेकानंद मिश्र

गया । डॉक्टर विवेकानंद पथ गोल बगीचा स्थित भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के तत्वधान में महर्षि परशुराम की जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई। समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े महासभा एवं कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर विवेकानंद मिश्र ने कहा कि महर्षि परशुराम ने अपने पराक्रम और पुरुषार्थ से क्रूर निरंकुश अत्याचारियों का वधकर रामराज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया ।शस्त्र और शास्त्र का उपयोग भारत के सनातन धर्म की रक्षा के लिए किया। मनुष्य के बीच जीते जागते प्रत्यक्ष देव के रूप में महर्षि परशुराम का अवतरण इस पृथ्वी पर "परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्" के लिए ही हुआ था। हम परंपरा से यह सुनते चले आ रहे हैं कि महर्षि परशुराम अत्यंत क्रोधी, अहंकारी और अत्यंत ही कठोर ऋषि थे; किंतु महर्षि अत्यंत ही दयालु, कोमल हृदय के बहुज्ञानी थे। उन्होंने लोक कल्याण के लिए शस्त्र उठाकर निरंकुश क्रूर अत्याचारियों का ही वध किया था। यह स्थिति आज भी बरकरार है, जबकि आज भी तपस्वी, त्यागी पुरुषों की कमी नहीं है। जागृत संगठनों के व्यापक संघर्ष के बावजूद भी मानवता पर चौतरफा प्रहार होता जा रहा है। लोग त्राहिमाम् कर रहे हैं। एक से बढ़कर एक वीभत्स अमानवीय घटनाओं ने अत्याचारियों का महोत्सव बना दिया है। आश्चर्य है कि हमारे देश में भी मानवीय रक्षा के इस प्रसंग को राजनीतिक कुंठा से ग्रस्त कुछ लोग जब उपेक्षित करना चाहते हैं तो वस्तुतः भारत के मुकुटमणि महर्षि परशुराम को तिरस्कृत करने का प्रयास करते हैं।
सामाजिक सम्मान मगरत्न एवं कई साहित्यिक सम्मानों से सम्मानित साहित्यकार आचार्य राधामोहन मिश्र माधव ने भगवान परशुराम के प्रति बहुश्रुत श्लोक का उद्धरण देते हुए उनके वास्तविक स्वरूप का स्मरण किया तथा उसकी
व्याख्या प्रस्तुत की--
अग्रत: चतुरो वेदा: पृष्ठत: सशर: धनु:।
इदं ब्राह्मण इदं क्षात्रं शापाज्ञदपि शरादपि।।

वामपंथी विचारधारा के कट्टर समर्थक कम्युनिस्ट पार्टी के प्रसिद्ध नेताओं में एक कपिलदेव प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा की आज के नेतागण यदि महर्षि परशुराम के लोक कल्याणकारी विचार दर्शन से प्रेरणा लेते तो सामाजिक न्याय और समतामूलक समाज को समझ पाते।
प्रसिद्ध समाजसेवी मृदुला मिश्रा ने ने कहा समाज में महर्षि परशुराम को स्मरण करने का केवल एक बहाना है। संदेश है, हम असीम करुणा से परिपूर्ण हैं, लेकिन अनीति और अत्याचार करने वालों से उससे भी अधिक कठोर बनने की शिक्षा का अनुसरण करना ही भगवान परशुराम का उदेश्य है जिसे हम नकार रहे हैं। महर्षि परशुराम की जन्म जयंती के अवसर पर जिन पर मुख्य लोगों ने भाग लेकर अपने विचार व्यक्त किये श्रद्धा सुमन अर्पित किए उनमें प्रमुख रूप से पंडित अजय कुमार मिश्रा ने कहा की पथभ्रष्ट हो रहे समाज और निरंकुश हो रही राज सत्ता को नियंत्रित करने के लिए परशुराम जैसे महापुरुषों की प्रासंगिकता बढ़ीहुई है।राजीव नयन पांडेय डॉक्टर रविंद्र कुमार बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेत्री एपिसोड प्रोफेसर गीता पासवान अधिवक्ता जैनेंद्र पासवान अमरनाथ पांडे राजद के प्रदेश नेत्री रूबी कुमारी आचार्य पवन मिश्रा दीपक पाठक अधिवक्ता पूनम कुमारी मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर अनूपनाथ तेतर्वे डॉ दिनेश प्रसाद डॉ ज्ञानेश भारद्वाज रंजीत पाठक पवन मिश्रा कवयित्री रानी मिश्रा पार्वती देवी पूजा कुमारी, किरण पाठक, प्रियंका मिश्रा, डा सच्चिदानंद पाठक, विनयलाल टाटक कुणाल कुमार अरविंद कुमार नीरज वर्मा डॉक्टर उज्जवल प्रोफेसर संगीता जी इंदू सिंहां नारायण डॉ दीपक कुमार पाठक कार्तिकेय कुमार डॉक्टर दिनेश सिंह डॉक्टर रामाधार कुमार मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान एवं कौटिल्य मंच के राजकुमार राजकुमार मनीष कुमार रीता देवी शीतल चौबे नीमा देवी जिसको कह रहे हैं पुष्प लता चौबे उषा देवी राम शर्मा। ........
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