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स्वतंत्रता-संग्राम में साहित्यकारों को प्रेरणा दी पं छविनाथ पांडेय ने

स्वतंत्रता-संग्राम में साहित्यकारों को प्रेरणा दी पं छविनाथ पांडेय ने

  • जयंती पर साहित्य सम्मेलन में डा सविता मिश्रा 'मागधी'की पुस्तक 'जीवन है तो--?' का हुआ लोकार्पण,
  • साहित्यकार पं रामदहिन मिश्र भी किए गए याद, हुआ कवि-सम्मेलन, पूर्व वायु सैनिकों ने लगाए पौंधे

पटना, १४ अप्रैल। महान स्वतंत्रता-सेनानी, पत्रकार और लेखक पं छविनाथ पाण्डेय एक ऐसे राष्ट्रवादी-विद्वान थे, जिन्होंने न केवल स्वयं को ही राष्ट्र और राष्ट्राभाषा के लिए न्योछावर कर दिया था, बल्कि अपने समय के साहित्यकारों को भी इस हेतु प्रेरणा दी। वे बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री और अध्यक्ष भी रहे। उन्हीं के संकल्प और उद्यम से सम्मेलन को भूमि प्राप्त हुई और भवन का निर्माण भी हुआ। वे न होते तो संभवतः बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का भी अन्य अनेक प्रांतीय हिन्दी सम्मेलनों की भाँति अस्तित्व मिट गया होता।

यह बातें शनिवार को सम्मेलन सभागार में आयोजित जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि, उन्ही के समान पं रामदहिन मिश्र का साहित्यिक अवदान भी स्तुत्य और अनुकरणीय है।

इस अवसर पर विदुषी कवयित्री डा सविता मिश्र 'मागधी' के काव्य-संग्रह 'जीवन है तो--?' का लोकार्पण भी किया गया। रक्त-कैंसर को पराजित कर आयी कवयित्री ने अपने जीवनानुभव को बहुत ही मर्मस्पर्शी प्रतीकों और शब्दों में अभिव्यक्त किया है।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार और संपादक प्रो कलानाथ मिश्र ने कहा कि साहित्य में योगदान के लिए पं छविनाथ पाण्डेय हमारे लिए अविस्मरणीय हैं। उनका बचपन अत्यंत दुखदायी रहा। जन्म के समय में ही पिता को खो दिया, इसलिए परिजन भी उन्हें 'अभागा' मानते थे। स्नेह के अभाव और उपेक्षा के बीच पला उनका बचपन उन्हें समय के पूर्व परिपक्व बना दिया। जीवन का अर्थ उन्होंने समझा और अपने साहित्य और आचरण में उतारा। उत्तरप्रदेश का अपना घर छोड़ कर आए तब से बिहार के हो गए। ८५ से अधिक पुस्तकें लिखीं और स्वतंत्रता-आंदोलन और अनुवाद-साहित्य में अद्भुत योगदान दिया।


अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के साहित्यमंत्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि पं रामदहिन मिश्र एक महान हिन्दी-सेवी और व्याकरण-विद थे। अपने विपुल साहित्य से उन्होंने हिन्दी के विशाल आगार को समृद्ध किया।


सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा रत्नेश्वर सिंह, डा पुष्पा जमुआर, डा धर्मानंद झा, अवध बिहारी सिंह, विभारानी श्रीवास्तव, प्रो सुशील कुमार झा, पूर्व वायु सैनिक संघ के अध्यक्ष संजय कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। पूर्व वायु सैनिकों के संगठन 'एयर वेटरन वेलफ़ेयर फ़ाउंडेशन, पटना' की ओर से सम्मेलन परिसर में पचास से अधिक फूलों के पौंधे लगाए गए।


इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ शायर आरपी घायल, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, सिद्धेश्वर, जय प्रकाश पुजारी, सदानन्द प्रसाद, डा अनिल कुमार शर्मा, शंकर शरण आर्य, रौली कुमारी, सूर्य प्रकाश उपाध्याय, नीता सहाय, पंकज प्रियम, सुनीता रंजन, संजय लाल चौधरी, आदि कवियों ने अपने काव्य-पाठ से श्रोताओं की तालियाँ बटोरी। मंच का संचालन गीत के चर्चित कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रबंध मंत्री कृष्ण रंजन सिंह ने किया।

ई बाँके बिहारी साव, अम्बरीष कांत, नीरव समदर्शी, वायु सैनिक संजय मिश्र, राकेश कुमार, विजय कुमार, विनय कुमार ओझा, प्रेम प्रकाश, कुमकुम सिंह, अर्चना, इंदिरा प्रमोद बिहारी, सच्चिदानंद शर्मा, अंजना झा, अविनाश कुमार, ज्योति झा, चंदा कुमारी, अश्विनी कुमार आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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