नियति का नियम: कर्म का प्रतिफल
"जो तुमने औरों के साथ किया, वही कल तुम्हारे साथ भी होगा" — यह पंक्ति जीवन के उस अटल सत्य की ओर इशारा करती है जिसे हम 'कर्म का नियम' कहते हैं। यह कोई मानव निर्मित नियम नहीं, बल्कि स्वयं प्रकृति और नियति का संतुलन है।
हम जो भी कर्म करते हैं — चाहे अच्छे हों या बुरे — उनका प्रभाव अनिवार्य रूप से हमारे जीवन में लौटकर आता है। यह नियति का तरीका है हमें हमारे कर्मों का दर्पण दिखाने का। यदि हम दूसरों के साथ छल, अन्याय या दुर्व्यवहार करते हैं, तो एक दिन वही अनुभव हमें भी सहना पड़ता है। इसी तरह, यदि हम प्रेम, सहानुभूति और न्याय का व्यवहार करते हैं, तो वही सकारात्मक ऊर्जा हमारे जीवन में लौटकर आती है।
यह उद्धरण हमें सावधान करता है कि हम अपने व्यवहार, शब्दों और निर्णयों के प्रति सजग रहें। यह केवल दूसरों के लिए नहीं, बल्कि स्वयं के भविष्य के लिए आवश्यक है।
इसलिए, जीवन में ऐसा कुछ भी न करें जिसे आप अपने साथ होते हुए नहीं देखना चाहें। क्योंकि नियति चुप है, पर अंधी नहीं — वह सब देख रही है और समय आने पर सब लौटा देती है। यही उसका नियम है, यही उसका संतुलन है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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