सब सिद्धियों की दाता अंबे
सिंह सवार हो आजा भवानी,दानव दलनी मां वरदानी।
शक्ति स्वरूपा जग कल्याणी,
बुद्धि विधाता वीणापाणि।
सब सिद्धियों की दाता अंबे,
महागौरी हे मां जगदंबे।
दुखड़े दूर करने वाली,
पीर हरो मत करो विलंबे।
यश वैभवता देने वाली,
डूबी नैया मां खेने वाली।
सुंदर सजा दरबार मैया,
ऊंचे पर्वत रहने वाली।
तेरी करूं आराधना माता,
गाऊं आरती वंदना माता।
आओ पधारो द्वार मैया,
अखंड ज्योत जले माता।
उजियारा जीवन में कर दो,
भक्त की मां झोली भर दो।
आसरा तेरा है जग जननी,
खुशियों की बरसात कर दो।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
राजस्थान रचना स्वरचित व मौलिक है
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